Tuesday, February 17, 2009

'तलाश अभी जारी है..........?

कल जब मैने अजय शर्मा का लेख पढ़ा तो मुझे भारत की विकास रथ पर चलने की नेतोऊ दुआरा किए गए जुठे वादे का पता चल जाता है। ये अकेले अजय शर्मा की नही हम सब की यही परेशानिया है मै भी एक इंटरनेशनल कंपनी मै कार्य करता हु। ये डर मुझे भे हमेशा लगा रहेता है की कल मै ऑफिस आऊंगा या नही एक अंजान से डर मै हम जीने के लिए मुजबुर हो रहे है। भारत सरकर रोज़ नये नये कहानिये सुना कर हमरे डर को कम करने की कोशिश तो कर रही है पर उस का कोई हल नही निकल पा रही है।
अगर ये घटना मेरे साथ घटती तो शायद मेरे पास आत्महत्या या सड़क पर कुछ छोटा मोटा काम करने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नही बचता। वजहे सीधी सी है की हमरे हिंदुस्तान मै काम करने वाला एक होता है और खाने वाले ज्यादा ये परेशानी मेरे साथ भी मेरे घर में हम आठ लोग है पर उन मै से सिर्फ़ मै ही काम करता हु। किराया जो हर महीने मकान मालिक को देना ही देना है साथ में खाने पीने और सब खेर्चे इन सब के बंदोबस्त होने के बाद ही हम सेविंग के बारे मै सोच सकते है मगर बैंक मै महीने मै ५०/१०० रूपए ही बचते है हम मध्यम परिवार वाले क्या करे।
बस भगवान के भरोसे ही हम लोगो की ज़िन्दगी चल रही है कल के बारे मै पता नही क्या होगा। कंपनी पहुचने से पहले रोज़ ऑफिस के दोस्तों से बात होती है "भाई सब ठीक है ना .... कही तेरा या मेरा नाम तो नही है लिस्ट मै "अगर ऐसा हो गया तो हम क्या करेंगे पता नही.................?

Thursday, December 25, 2008

ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो...



ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो...


college मे ख़ुश रहो, घर में ख़ुश रहो...


आज पनीर नही है दाल में ही ख़ुश रहो...


आज gym जाने का समय नही, दो क़दम चल के ही ख़ुश रहो...


आज दोस्तो का साथ नही, TV देख के ही ख़ुश रहो...


घर जा नही सकते तो फ़ोन कर के ही ख़ुश रहो...


आज कोई नाराज़ है उसके इस अंदाज़ में भी ख़ुश रहो...


जिसे देख नही सकते उसकी आवाज़ में ही ख़ुश रहो...


जिसे पा नही सकते उसकी याद में ही ख़ुश रहो


Laptop ना मिला तो क्या, Desktop में ही ख़ुश रहो...


बीता हुआ कल जा चुका है उसकी मीठी यादें है उनमे ही ख़ुश रहो...


आने वाले पल का पता नही... सपनो में ही ख़ुश रहो...


हसते हसते ये पल बिताएँगे, आज में ही ख़ुश रहो

Monday, August 11, 2008

नोकरी करने के कुछ नुस्खे

नोकरी करने के कुछ नुस्खे :
१) बने रहो पगले , काम करेंगे अगले !!!!
२)काम से रहो गुल , तनख्वाह पाओ फुल !!!!
३)मत लो टेंशन वरना परिवार पायेगा पेंशन !!!!
४)काम से डरो नहीं और काम को करो नहीं !!!!
५) काम करो या ना करो, काम की फिक्र जरुर करो;और फिक्र करो या ना करो पर उसका जिक्र जरुर करो !!!!
.......जनहित में जारी ..................
ये मेरे मित्र ने मुझे भेजा है उम्मीद करता हु की आप सब लोगो को बड़ा मजा आयेगा !!!!

Saturday, July 26, 2008

अश्लीलता जो घर मैं आ जाए तो क्या हो ...........?


कभी आप ने सोचा है की हम २१वि सदी मैं क्यो जी रहे हैं ।क्योकि यहाँ हम अपनी बच्चो को आदर्श ओउर संस्कार नही बल्कि मध्यम वर्गीय परिवार से उठ कर हाई सोसाइटी मैं उपजे हुए नए ओउर युवा जनरेशन पैदा कर रहे हैं .कभी वक़्त होता था की हम अपने परिवार के साथ बात करते थे ओउर साथ मैं बात कर टीवी देखा करते थे


" हम लोग, दूसरा केबल , उडान , पचपन खंभे लाल दीवारे सरीखे ओउर मन मैं भक्ती रस भर देने वाले रामयण , महाभारत , ओउर कितने ही उम्दा किरदारों वाले प्रोग्राम आया करते थे दूरदर्शन पर पर अब वो सब दूर के ही दर्शन भर रह गए हैं ।


एकता कपूर का कुछ दिनों पहले मैंने एक लेख पड़ा था इंडिया टुडे पर जिस मैं उस ने ये लिखा था की आज की औरत किसी से कम नही है वो जाग उठी है ओउर पता नही क्या क्या बकवास मैं ये बताना चाहता हु की आज की औरत कितना जाग गई है की वो मान मर्यादा तक भूल गई हैं । कुछ ब्लॉग को मैं कुछ दिनों से खगाल रहा था तो औरत का सिर्फ़ ओउर सिर्फ़ एक ही तस्वीर दिखाई दी वो ये हैं (ब्लॉग )


ओउर एकता कपूर की हर सीरियल मैं औरत की शादी दो तीन बार तो हो ही जाती हैं। पहले शादी हीरो की साथ होती हैं फिर उस के दो या तीन भाइयो के साथ फिर भे मजा नही आता तो बाप के साथ भी कर सकती है रही सही कसर विलन के आने के बाद उस से भी शादी कर के पुरी हो जाती हैं । वहा एकता तेरे ख़ुद के सीरियल मैं एकता नही हैं तो काहये ओउरो की जिंदगी मैं आग लगा रही हो ।

ब्लॉग क्या है .... दिल मैं बसा आसमान है


जब मैंने ब्लॉग के बारे सुना तो बड़ा अजीब से महसूस किया की यार ये ब्लॉग क्या बला है। सबसे पहले मैंने अमिताभ जी के ब्लॉग के बारे मैं सुना की वो अपने दिल की बात ओउर अपने रोज्मरा की बात लिखते हैं। तो भइया हमने उन के ब्लॉग पैर नजर डाली तो पता चला की इस को ब्लॉग कहते हैं।

हम ने भी सोच लिया की अब से ब्लॉग लिखना शुरू कर देते हैं ओउर शुरू हो गया हमारा सफ़र नामा । पर पहले तो कुछ बकवास ही लिखा पर बाद मैं कुछ अच्छे लोगो के संपर्क मैं आया तो अपने विचारो के साथ उन के विचारो को भी जोड़े कर दुनिया को नई दिशा ओउर अपने विचार रखने का एक स्थल मिल गया।

नमस्कार सफ़र नामा शुरू होता हें।

Tuesday, July 22, 2008

सर्कस का किंग




कुछ न्यूज़ चैनल मनमोहन सिंह जी को "सिंह इस किंग " के नाम से संबोधित कर रहे है । पर वो सिंह इस किंग नही बल्कि सर्कस के किंग बन के रह गए। अनिल रघुराज जी ने सही कहा है की कुछ जयचंदों ने नोटों की वजह से करोडो लोगो के विश्वास को तोड़ दिया । अगर इस जयचंदों का नाम दुनिया के सामने आ भी जाए तो क्या हे इन्हे जो करना था कर दिया अब इन के किए का हम लोगो को भुगतना हे ।
ये देश का दुर्भाग्य ही है जो इन कुतो को "रोटी ओउर बोटी" (नोट ओउर वोट) दे रहा है। कम से कम बीजेपी को तो अपने भविष्य का पता चल गया अब अगले चुनावो से पहले उसे अपने घर के अंदर की ओउर बहार की दीवारों को भी मजबूत कर लेना चाहिए ।